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भाग्य नही, सौभाग्य है यह कि तुम एक नारी हो

Badri Nath KoiriBadri Nath Koiri March 8, 2023
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कभी तुम खिलखिलाती फूलों सी न्यारी हो 
कभी तुम स्वयं ही मां दुर्गा की अवतारी हो ,
कमजोरी नहीं, इसे अपनी ताकत बनाना 
भाग्य नही, सौभाग्य है यह कि तुम एक नारी हो ।

तुम्हारी ही खुशबू है रसोई से लेकर आंगन तक 
होती तुम्हीं से शुरू यह सफर पाप से पावन तक ,
बहन से बहू तक हो तुम, बेटी से मां तक हो तुम 
सच पूछो तो फैली जमीं से आसमां तक हो तुम ,
हर घर की नींव टिकी है तुम्हारे ही अडिग विश्वास पर 
तुम्हारे ही तेज़ से है रोशन सितारे भी अडिग विश्वास पर ,
तुम अग्नि की सहेली, तुम नीर की दुलारी हो
तुम बरखा की उम्मीद, तुम बादलों की प्यारी हो 
भाग्य नहीं, सौभाग्य है यह कि तुम एक नारी हो ।

फिर न जाने क्यों तुम चार दीवारों में कैद हो जाती हों 
ना खुल कर मुस्कुरा, ना छिप कर आंसूए बहा पाती हो ,
तुम पर लिखी हर गीत हमेशा अधूरी ही रही हैं 
तुम्हें खुद के आसमां होने का अंदाजा तक नहीं है ,
कि तुम दुनिया के सीने में दिल बन कर धड़कती हो
फिर क्यों नहीं कभी अपने हक के लिए भी लड़ती हो ,
अपनो के जीत के लिए सदा तुम खुद से ही हारी हो 
तुम सहिष्णुता का प्रतीक, तुम करुणा की अधिकारी हो
भाग्य नहीं, सौभाग्य है यह कि तुम एक नारी हो ।

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