
Share0 Bookmarks 61 Reads0 Likes
गौरैया ने चोंच दबाया
धान का एक बीज
थी भूख से बेहाल बेचारी
पर बच्चों के प्रेम की मारी ।
उड़ने को न जान बची थी
यही सोच परेशान खड़ी थी ।
कृषक जो बैठा था धान के ढेर में
चोरी न करले कोई इस फेर मे ।
जिसने धान को बोया काटा
द्रवित हो उठा हृदय भी उसका ।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments