धान , किसान और गौरैया's image
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गौरैया ने चोंच दबाया 

धान का एक बीज 

     थी भूख से बेहाल बेचारी 

     पर बच्चों के प्रेम की मारी ।

उड़ने को न जान बची थी

यही सोच परेशान खड़ी थी ।

     कृषक जो बैठा था धान के ढेर में

    चोरी न करले कोई इस फेर मे ।

जिसने धान को बोया काटा 

द्रवित हो उठा हृदय भी उसका ।

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