Ye aankhein kya se kya chhupa rahi hain's image
UAE PoetryPoetry1 min read

Ye aankhein kya se kya chhupa rahi hain

B P S - thakurB P S - thakur May 4, 2023
Share0 Bookmarks 20 Reads0 Likes

ग़ज़ल

ये आंखें क्या से क्या छुपा रही है

तेरी ख़ामोशी मुझको खा रही है


मैं अपनी ही नज़र में गिर गया हूं

मुझे वो छोड़कर अब जा रही है


महफ़िल-ए-यार कि हम ना जाएं

मेरे यार-ओं को यारी सता रही है 


क़ज़ा आए तो फ़िर आ ही जाए 

मुझे ज़िंदगी हंसाना सीखा रही है 


मेरे ख़्वाबों की ज़न्नत थी वहीं पे

ज़हां पर घर को तू बना रही है


कोई बिछड़ा हुआ गर लौट आए

भानु को याद उसकी आ रही है

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts