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Tu hi manzil hai meri tu hi mera sahil hai

B P S - thakurB P S - thakur May 4, 2023
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ग़ज़ल

तू ही मंज़िल है मेरी तू ही मेरा साहिल है

तू ही तन्हाई है मेरी और तू ही महफ़िल है


ना दामन में दाग आए ना ख़ंजर में दाग

वो निगाहों का हुनर बाज़ कोई क़ातिल है 


तेरे ख़्याल-ओं से मेरा ख़याल बेहतर है 

तू मांगता है आसमां ज़मीं मुझको हासिल है


दुनियां में मोहब्बत के सिवा क्या होगा

हमारी छोड़िए हम तो गवार ज़ाहिल है


थोड़ा सा सब्र कीजिए और देखते जाए 

वो जानता है बहुत कौन कितना क़ाबिल है 


ना दिल-ए-आरज़ू है ना कोई है अफ़साना

ज़हां रुक जाएं वहीं यार अपनी मंज़िल है


तू हुस्न-ए-क़यामत है और करिश्मा भी 

कैसे समझाएं भानु को कितनी किलकिल है

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