Share0 Bookmarks 48324 Reads0 Likes
छा रहा क्षितिज में अंधकार
हो रहीं दिशा तम में विलीन
पथ हुए तमस से ओतप्रोत
शशि प्रभा हुई धूमिल मलीन
मेघों का भय से पुष्ट रोर
सुन काँप उठा हर ओर छोर
मारुत का वह भीषण प्रवाह
चल रहा ढाहते गेह-गाह
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments