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फासले आ गए हैं अब।

Avish DattAvish Datt January 29, 2023
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हम मिले ऐसे अनजाने,अनकहे एक अलग से फसाने में।

बातें हुई, महसूस किया और एहसास इश्क़ का होने लगा।

इकरार प्यार का होते ही, मिलना मिलाना होने लगा।

दुनिया की नज़र में वो जो हम खुश दिखने लगे, 

किसी की लगी नज़र हममें, हममें मन मुटाव बढ़ने लगे।




लड़ते झगड़ते थोड़ा कभी, और फिर माफ़ी की मुस्कान भी होती।

साथ रहने को एक दूजे के, कई मिलो की दूरी भी तय होती।

फिर रहने लगी दो पल की खुशी,

मगर बहने लगे कई दिनों तक आशु।

दुनिया की नज़र में वो जो हम खुश दिखने लगे, 

किसी की लगी नज़र हममें, हममें मन मुटाव बढ़ने लगे।




अब फासले बढ़ते जा रहे थे। 

रोकना चाहा कई बार,मगर नई रंजिसे जगह ले रही थी।

जो पसंद था एक दूजे में,शुरुवाती रिश्ते में तब, 

वो कहीं न कहीं खटकती जा रही थी, बिना बातों के अब।

साथ रह कर भी साथ रहने का, कोई एहसास नहीं हो पा रहा था।

और दूर होने की वजह क्या बनती जा रही, 

ये समझ नहीं आ रहा था।

और यू देखते ही देखते ........,

हम दोनों के दरमिया ,अब बहुत फासले आ गए थे।



तेरे मेरे बीच अब शायद फासले आ गए हैं।

एक दूजे से बातों के,फासले आ गए हैं।

एक दूजे को जताने के, फासले आ गए हैं।

एक दूजे को समझने के, फासले आ गए हैं।

एक दूजे के जज्बातों में, फासले आ गए हैं।

एक दूजे के एहसासों में, फासले आ गए हैं।

एक दूजे की यादों को, फासले आ गए हैं।

प्यार कितना हैं एक दूजे को, फासले आ गए हैं।

महसूस करें कैसे एक दूजे को, फासले आ गए हैं।

तेरे मेरे बीच अब शायद, फासले आ गए हैं।




इन फासलों की वजह क्या क़िस्मत को माने हम।

या ख़ुद ही की बनाई एक ज़िद की दीवार है कोई।

मैं गुनहगार ना तुझे मानता, ना ही मेरी कोई गलती हैं इधर।

जब रिश्ता हमारा कमज़ोर पड़ा, क्या हमनें संभालना चाहा नहीं?

जब रिश्ता हमारा बिखर गया, क्या हमने बटोरना चाहा नहीं?

जब रिश्ता हमारा बहने लगा, क्या हमने रोकना चाहा नहीं?

जब रिश्ता हमारा बिल्कुल टूट गया, 

क्या हमनें फिर से जोड़ना चाहा नहीं?




हमने किया सब कुछ एक दूजे में होने के लिए,

मोहब्बत मुझे तुझसे कई गुना ज्यादा हो गई है अब,

तूने भी कही न कही मेरे लिए ही, 

खुदको अकेला छोड़ा है अब तक।

तो फिर क्यों अब ये नफ़रत फासलों का साथ दे रही।

ख्वाबों में साथ, खयालों में साथ और साथ तब भी,

जब कोई पूछता हमसे हम दोनो का साथ।

असल में होना ही है, हम दोनो को साथ।

तो क्यों फिर, ये फासलों ने हम दोनों में जगह बनाई है।




ख़ैर अब सवाल हैं, ये गुरूर छोड़ के अपना,

इन फासलों पर नज़दीकियों का मरहम लगाएगा कौन ? 

कई सालों के उन अकेलेपन को दोनो से दूर करेगा कौन?

वो प्यार, वो एहसास , वो नाराज़गी पहले महसूस करवाएगा कौन?

इस रिश्ते में फिर जान भरने की हरकत करेगा कौन?

एक दूजे के लिए, एक दूजे में होने को पहले आगे बढ़ेगा कौन?

ख़ैर गुरूर छोड़ के अपना, 

ये फासलों का इंतजार खत्म करेगा कौन? 


हम दोनों के बीच अब बहुत फासले आ गए हैं।

.......................अब बहुत फासले आ गए हैं।

ये फासलों का इंतजार खत्म करेगा कौन?






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