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असंभव से संभव तक
क्यों बैठा है सहम कर
क्याक्यों बैठा है सहम कर
क्या हार से डरता है,
क्या बिना लड़े ही अपनी
हार स्वीकार करता है।
राह की मुश्किलों से
क्यों चलने से डरता है,
कौन आज तक अपने
प्रगति में व्यवधान करता है।
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