धमकियाँ's image
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ये सच है कि मेरा तुम पे अख्तियार नहीं

मगर ये कह दो कि तुमको मुझसे प्यार नहीं |


मैंने कब कहा कि मैं चोटी का सुखनवर हूंँ

मैं तो एक कली हूंँ गुलजार नहीं |


तुम्हारे नाम पे खुद को बेंच सकता हूंँ

वो बात और है मैं मता-ए-कूचा ओ बाज़ार नहीं |


तमाम रातों से तुम्हारी यादों के घर में हूंँ

है यहाँ मेरा भी हक मैं किराएदार नहीं |


तुम्हारे बारे में बस सच की जगह है मुझमें

मैं तुम्हारी डेस्क पर रखा हुआ अखबार नहीं |


तेरी अदालतों में बस मैंने सुनवाई मांगी

पेशकरो जरा संभल के कोई पुकार नहीं |


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