धमकियाँ's image
Share0 Bookmarks 41 Reads0 Likes

ये सच है कि मेरा तुम पे अख्तियार नहीं

मगर ये कह दो कि तुमको मुझसे प्यार नहीं |


मैंने कब कहा कि मैं चोटी का सुखनवर हूंँ

मैं तो एक कली हूंँ गुलजार नहीं |


तुम्हारे नाम पे खुद को बेंच सकता हूंँ

वो बात और है मैं मता-ए-कूचा ओ बाज़ार नहीं |


तमाम रातों से तुम्हारी यादों के घर में हूंँ

है यहाँ मेरा भी हक मैं किराएदार नहीं |


तुम्हारे बारे में बस सच की जगह है मुझमें

मैं तुम्हारी डेस्क पर रखा हुआ अखबार नहीं |


तेरी अदालतों में बस मैंने सुनवाई मांगी

पेशकरो जरा संभल के कोई पुकार नहीं |


वो शख्स सो रहा है जिस्म के बिस्तर पे मेरे

सो थोड़ा धीरे बोलो ज्यादा सोरसार नहीं |


मेरी आंखों में बस कुछ ही मुसाफिर रहते

तुम्हारी तरह कोई एक दो हजार नहीं |


तुम मुझे छत की तरह धमकियाँ क्यूँ देते हो

मैं तो एक ईट हूंँ खड़ी हुई दीवार नहीं |


है कोई और भी जो चाहता है मुझको भी

मैं हफ्ते का busy दिन हूंँ कोई इतवार नहीं |


इतना मुस्तैद है कि जब भी रिहाई मांगो

हूंँ...तो कर देता है पर ठीक से इंकार नहीं |


फैज से आजिज़ आ चुके हो बस इतने से

वो एक काफिर है कोई गुनहगार नहीं |

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts