शृंगार's image
न देख पाया क़भी उनका सोलह शृंगार,
न महसूस कर पाया क़भी उनका प्यार,
बीत गए कुछ बरस जैसे बीता हो दो पल,
अब सदियों सा लगता है दिन, काटे नहीं कटता अब ये मिथ्या इंतजार।

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