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कोशिशें तमाम कीं भुलाने की उनको, पर भुला न सका,
सारी रात बुझाई प्यास मयख़ाने की, पर अपनी बुझा न सका,
छुड़ाकर मेरा दामन जी लिए तुम भी, और जीते रहे हम भी,
पूछ न बैठे कोई हमसे, क्या हुआ ? बस इसी कारण मैं अपने आँसू बहा न सका।
#क़लम✍
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