कलश's image

एक और बरस देखते हुए बीता है,

रिक्त था कलश, अब भी रीता है,

कैसे बसाऊँगा किसी और को मन में,

वो जो मुझमें है, वो भी तो मुझसे ही जीता है।


#क़लम

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