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मेरी सारी ही ग़ज़लों को खुदाया मोतबर कर दे

कभी जो झूठ मैं लिख दूँ मुझे तू दरबदर कर दे  


लबों से कुछ न माँगू मैं मगर मुझको वो मिल जाए

दुआओं में मेरी इतना ही खुदाया तू असर कर दे 


ग़मों के रोज़ मेले  हैं  यहाँ सबकी कहानी में

जो बाँटेगा सदा खुशियाँ मुझे तू वो बशर कर दे


किसीका ऐब न देखे, न  ही ढूंढे  कमी कोई 

मेरी आँखों में या रब तू कुछ ऐसी ही नज़र कर दे 


तुझी से है मेरा सब कुछ खुदाया तू मुहाफिज़ है 

खता है जो मेरी मालिक उसे तू दरगुज़र कर दे


मुसलसल हूँ सफर में मैं मगर मंज़िल नहीं मिलती

मेरी राहों को कुछ तो अब ज़रा तू मुख्तसर कर दे 


नहीं माँगा जहां मैंने मगर इतनी गुज़ारिश है

मुझे ले जाए जो तुझ तक, मेरी वो रहगुज़र कर दे 


गुज़र जाऊँ जहाँ से पर रहूं ज़िंदा दिलों में मैं

बस इतना खूबसूरत तू मेरा यह इक सफ़र कर दे


©आसिफ़ जारियावाला

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