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मेरी सारी ही ग़ज़लों को खुदाया मोतबर कर दे

कभी जो झूठ मैं लिख दूँ मुझे तू दरबदर कर दे  


लबों से कुछ न माँगू मैं मगर मुझको वो मिल जाए

दुआओं में मेरी इतना ही खुदाया तू असर कर दे 


ग़मों के रोज़ मेले  हैं  यहाँ सबकी कहानी में

जो बाँटेगा सदा खुशियाँ मुझे तू वो बशर कर दे


किसीका ऐब न देखे, न  ही ढूंढे  कमी कोई 

मेरी आँखों में या रब तू कुछ ऐसी ही नज़र कर दे

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