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आज फिर एक नए सफर पर निकल पड़ा हूं मैं,
ना रास्तों का पता है ना ही मंजिल का कोई ठीकाना,
बस अपनी ही धुन में चल रहा हूं मैं,
अपनो से दूर कुछ अजनबियों के बीच खुशियां तलाश रहा हूं मैं,
जिंदगी की किताब का एक अधूरा सा पन्ना पूरा कर रहा हूं मैं,
आज फिर एक नए सफर पर....निकल पड़ा हूं मैं......
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