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आज फिर एक नए सफर पर निकल पड़ा हूं मैं,

ना रास्तों का पता है ना ही मंजिल का कोई ठीकाना,

बस अपनी ही धुन में चल रहा हूं मैं,

अपनो से दूर कुछ

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