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दिल की आवाज़ तुम तक
पहुंचती तो कैसे
तुमने ख़ुद को घेरे रखा
इस ज़माने से
एक हम थे पागल न डरे कभी
चोट खाने से
तुमको
आज़माने से
_अशरफ फ़ानी
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दिल की आवाज़ तुम तक
पहुंचती तो कैसे
तुमने ख़ुद को घेरे रखा
इस ज़माने से
एक हम थे पागल न डरे कभी
चोट खाने से
तुमको
आज़माने से
_अशरफ फ़ानी
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