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ज़िन्दगी से पूछूँगा कभी
गर कहीं मिल जाये वो
तू कभी दिखती भी है
या की बस आभास है
तू कभी बुझती भी
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ज़िन्दगी से पूछूँगा कभी
गर कहीं मिल जाये वो
तू कभी दिखती भी है
या की बस आभास है
तू कभी बुझती भी
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