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प्रेम में गर उपहास होता नही,
मन मेरा भी दुखी कभी होता नही
रात काली अँधेरी घटाओ में मैं,
किसी के लिए यू कभी रोता नही
मौसमो की आवा- जाही लगी,
पर दर्द के बादल छटते नही
दर्द आँखों से आसू बन गिरता नही,
मन की उदासी यू बढ़ती नही
मन अब उजियारे से डरता बहुत,
अब अँधेरे से कोई शिकायत नही |
प्रेम में गर उपहास होता नही,
मन मेरा भी दुखी कभी होता नही ||
© आशीष कुमार पाण्डेय
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