
Share0 Bookmarks 272 Reads1 Likes
लोकतंत्र से चुना मनुष्य
राज्य नरेश कहलाता है
ब्रम्हा खुद को समझ वो
राज्य बिधाता हो जाता है
प्रजा को वो तुच्छ समझ
अपने ही मन की करता है
भले बुरे का फर्क न पड़ता
अपने आका का जी भरता है
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments