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कलम दवात छुये तो अब ज़माने गुजर गये
टूटे दिल की य़ादों सब फसाने गुजर गय
कैसे लिखूँ कागद के अब खत अपने प्रिय को
घिसते -2 आँगूठा कितने टफन बदल गये
सोचता हूँ ह्रदय के जजबात ऊजागर न हो
है डिजिटल, गोपनियता के ज़माने बदल गये
एक दुजे के प्यार मे उपजित आश्लेष जो
दिल से दिल के रहास्यो के अफसाने बदल गये
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