हर दिवाली मे दीपो पे दीप जलाये है हमने,
किंतु अंतर्मन के दीप कभी न जलाये है हमने..I
खुद मोह माया की अंधियां चला चला के ही,
अंतर्मन के जलते हुये दीप भी बुझाये है हमने..II
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