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हर दिवाली मे दीपो पे दीप जलाये है हमने,
किंतु अंतर्मन के दीप कभी न जलाये है हमने..I
खुद मोह माया की अंधियां चला चला के ही,
अंतर्मन के जलते हुये दीप भी बुझाये है हमने..II
अंधेरे के लिए घृ्णित चालो को चला है हमने,
क्योकि उजाले मे भी रोशनी को छला है हमने..II
रखते चाँह अमावस से अमावस मे पूर्णिमा हो,
कहते है अंधेरा मिटाने की राह पे चला है हमने..II
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