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पेट की भुख जब आग बनती है
समाज से जब केवल तिरस्कार ही मिलती है
तब हुनर खुद-ब-खुद सड़कों पर तमाशा करती है
समाज से जब केवल तिरस्कार ही मिलती है
तब हुनर खुद-ब-खुद सड़कों पर तमाशा करती है
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