
वो दूर पत्थर की दुनिया मे, जब सर्द हवाएं चालती है .
सोये हुए बिस्तर पर ,हमे जब तेरी याद सताती है ...
आंखे बंद कर तुझे पाने की चाहत करता हु
तब तब इस दिल पर पत्थर रख ,यू ही सो जाया करता हु ...!
.
पर तेरी चाहत में ये नींद कहा से आये ..
बस इस नींद को बहलाता हु फुसलाता हु
जब जब तेरी याद ,तब तब इस दिल पर पत्थर रख यू ही सो जाया करता हु ..
अब तो हर एक नजरो से चिढ़न होती है
हर एक मुस्कान से डर लगता है ...
जब जब तेरी याद आए , तेरी याद से डर लगता है ..
जब सर्द भरी हवाओ में तेरी याद सताती है
तब तब इस दिल पर पत्थर रख यू ही सो जाया करता हु ...।
जब समय का याद मुझे तेरे पास लाता है
तब तब तुमसे दूर जाने का नखरे यू दिखता हु
तुमको क्या पता तकलीफ किसे कहते है
हँसते गाते इस गम को भूलाना चाहता हु
तब तब दिल पर पत्थर रख यू ही सो जाया
करता हु
मेरी नासमझी को समझ ,वो दूर कैसे ले जाउ ..
जब जब तेरी याद आए,तेरी यादों से डर लगता है
जब अपने बेगाने होते है ,कुछ बेगाने अपने हो जाते है
दिल मे बैचेनी
,सांसो में छट पटी जब जब होती है
तेरी दो चार अदा को याद कर यू ही सो जाया करता हु
जब जब तेरी याद है ,तब तब दिल पर पत्थर रखयुही सो जाया करता हु .....
#आशीष_ श्रीवास्तव
Twitter id _ @iamashishsriv
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