Share0 Bookmarks 49578 Reads1 Likes
जब मैं यु गिरु तो
तुम यु ही रोज़ हसोगे क्य?
मेरे आँख से जब आंसू गिरे
तो उन आंसुओं को देखोगे क्या?
तुम, तुम, तुम, तुम सब से
दोस्ती कर, बात करने की आरज़ू है
पर तुम भी अपने किस्से बताओगे क्या?
मिझे भी दूसरों की तरह मन करता ह बेफिक्र होने का
ख्वाहिश है की बताऊँ इस जहाँ को अपनी कला का
पर, तुम भी इस बात को नज़रअंदाज़ करोगे क्?
लोगो को साथ देख, पुराने घाव क्यों खुल से जाते है
तुम भी मुझे उन घावों का स्वाद दोगे क्या?
जब मैं यु गिरु तो
तुम यु ही रोज़ हसोगे क्या
खुद पे भरोसा कुछ उठ सा गया है
दर लगता है उचायों से अब मुझे
उचा देखना कुछ हैसियत से आगे लगता है
इस दर को भागने मैं मेरा साथ दोगे क्या?
एक हिम्मत की कमी है मुझमे
मुझे, उस आसमान को घूरने का जज़्बा दोगे क्य No posts
No posts
No posts
No posts
Comments