परिश्रम -राह मंजिल की ओर's image
Zyada Poetry ContestPoetry1 min read

परिश्रम -राह मंजिल की ओर

ApurwApurw December 14, 2021
Share0 Bookmarks 49817 Reads3 Likes

जिस राह जाने से डरता था

आज उसी राह पर बैठा हूं।

जिस चिंगारी से डरता था

आज उसी की आग अपने सीने में दबाए बैठा हूं।

जिस रात के अंधेरे में डरता था

आज उसी की चांदनी में शैर पर निकला हूं।

जिस तूफ़ान से घबराता था

आज उसी तूफान अपनी उड़ान भर रहा हूं।

जिन सवालों से घबराता था

आज उन्ही का उत्तर खोज आगे बढ़ रहा हूं।

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts