मैं खुद के बहाव में रही
न जीत में ,न हार में रही
ख़ुद में ही जिया खुद को
हर पल अपने विश्वास में रही
न जग में रही ,न वैराग्य में रही
अपनी धुन अपनी चाह में रही
लोग बुझ गए
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