वक्त कुछ ठहर सा गया था।
नही...
वक्त कहां ठहरता है।
वो तो कभी रुका हीं नहीं,
न किसी अच्छे के लिए
न किसी बुरे के लिए,
रुके तो हम थे बीते वक्त की कुछ अच्छी बुरी यादें लिए।
गुजरते वक्त में ठहरे हम,
कब बचपन जीते–जीते ,
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