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आज वरामदे में था बैठा,
गाने सुन रहा था,
अचानक एक गाना बजा,
दिल हिला,
चेहरा मुस्कराया,
पुराना वक्त याद आया।
जब भी उससे सामना होना,
दिल में उन शब्दों का आना,
उसका मुझे कभी भाव न देना,
बल्कि तमतमाए चेहरे से देखना,
गुस्से में पांव पटकती हुई,
निकल जाना,
और मेरा हर बार उल्टा समझना।
शायद मैं उसके इश्क में,
इस तरह गिरफ्तार था,
जो उसका इंकार भी,
इकरार समझता था।
कहीं पढ़ा था,
आशिक बहुत ढीठ होता,
उसको हां और न का,
पता नहीं चलता,
और ये एक तरफा इश्क,
यूं ही चलता।
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