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सावन भी धीरे धीरे,
भूतकाल हो गया,
हर रोज उसके इंतजार में,
निकल गया,
कभी आएगी वो,
बतयाएगी वो।
लेकिन ये सपना ही रह गया,
वो नहीं आई,
उसकी याद,
हर दम दिमाग में छाई,
उसका उठना बैठना,
बात करने का लैहजा,
रहा पुर
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