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किसान आंदोलन,
भड़़का चारों ओर,
हिंसा पे आई बात,
दुर्घटना हो गई जनाब,
खूब हो रहा हल्ला गुल्ला,
हर कोई खेेल रहा खेल,
अपने अपनेे स्वार्थ अनुुसार,
जितना चाहे भुना लूं,
हाथ से न जाए निकल,
बस वोट हो जाएं पके,
कौन पूछता बाद में।
इस भागवं भाग में,
हर कोई हैै बढ़-चढ़कर,
अगर एक बोलता ऐसे,
तो दूसरा छोड़ता,
उसको भी पीछे,
मुद्दा वहीं,
चुनाव है निकट।
बस एक बार
भड़़का चारों ओर,
हिंसा पे आई बात,
दुर्घटना हो गई जनाब,
खूब हो रहा हल्ला गुल्ला,
हर कोई खेेल रहा खेल,
अपने अपनेे स्वार्थ अनुुसार,
जितना चाहे भुना लूं,
हाथ से न जाए निकल,
बस वोट हो जाएं पके,
कौन पूछता बाद में।
इस भागवं भाग में,
हर कोई हैै बढ़-चढ़कर,
अगर एक बोलता ऐसे,
तो दूसरा छोड़ता,
उसको भी पीछे,
मुद्दा वहीं,
चुनाव है निकट।
बस एक बार
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