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ख़याल है

हम एक जन्म में कई जिंदगियाँ जी लेते हैं। पर जब बात लिखने की आती है तो सिर्फ अपने उन लम्हों को उतारते हैं पन्नों पर जिसमे हमें दर्द मिला हो या किन्हीं वाक्यों को ले कर ग्लानि हुई हो। ये सब करने के पीछे व्यक्ति का कोई विशेष प्रयोजन नहीं होता या वो ये सब सोंच कर नहीं करता। आखिर कौन सिर्फ उन लम्हों को संजो कर रखना चाहेगा जिसमे उसे दर्द मिला हो या जिन लम्हों में एक पल ऐसा आया हो जब वो मरना चाहता हो। नहीं ऐसा कोई नहीं करेगा लेकिन फिर भी ऐसा हमसे हमारा आंतरिक मन करवाता है।

हम चाहते हैं कि सिर्फ अच्छे लम्हें ही लिखें ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी इ

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