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बहुत बड़े हैं ख़्वाब मेरे

Anand Mohan JhaAnand Mohan Jha October 3, 2021
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बहुत बड़े हैं ख़्वाब मेरे

पर छोटी सी मजबूरी है

मैं उड़ना चाहता हूँ, पंख फैलाए

पाना चाहता हूँ बिना कुछ गंवाए

ऐसा नहीं है कि मैंने कुछ सोचा नहीं है

पर सच कहूं तो हिम्मत नहीं है

हाँ मैं बुज़दिल हूँ, शायद अपनों की परवाह करता हूँ

सोचता हूँ

कुछ अपने लिए करूँगा तो अपनों का साथ छूट जाएगा

खुद के सपने सजाऊंगा तो अपनों का हाथ छूट जाएगा

 

पर ऐसा भी नहीं है कि मेरा दिल नहीं करता

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