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जहाँ ठहरता है जीवन
वहाँ कोई आशा और निराशा नहीं होती
एक क्षण ऐसा भी आता है
मनुष्य को सुख और दुःख नहीं
बस मनुष्य होने का बोध होता है
जीने की इच्छा पहले मरती है
आदमी बाद में ।
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जहाँ ठहरता है जीवन
वहाँ कोई आशा और निराशा नहीं होती
एक क्षण ऐसा भी आता है
मनुष्य को सुख और दुःख नहीं
बस मनुष्य होने का बोध होता है
जीने की इच्छा पहले मरती है
आदमी बाद में ।
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