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प्रेम के इतिहास के विषय में पढ़कर प्रतीत होता हैं, यह वास्तव में सबसे अधिक पीड़ाओं और कठिनाईयों से घिरा हुआ मार्ग हैं जिसमें कृष्ण को पाने के लिए मीरा के हिस्से में विष भरा प्याला और सीता के हिस्से में अग्निपरीक्षा आई परन्तु इसका लक्ष्य सदैव से सरल और सहज रहा प्रेम के लिए स्वयं को समर्पित कर देना लेकिन पूर्णतः समर्पण से पूर्व आज के समय में सबसे आवश्यक विषय हैं, कि हम जिसके समक्ष समर्पित हो रहे हैं, उसके हृदय में हमारे समर्पण के प्रति सम्मान एवं निष्ठा हैं अपितु नहीं!!!
©आँचल त्रिपाठी
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