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सूरज और चाँद कभी नहीं
नजर आते एक-दूसरे के पास,
आसमान में साथ रहना
कहीं उनकी मजबूरी तो नहीं...
जिह्वा और दांत हर पल हर घड़ी
रहते हैं एक दूसरे के साथ,
दोनों का एक हो स्वभाव
ये कोई जरूरी तो नहीं...
धरती और आकाश कभी नहीं
मिल सकते दिन हो या रात,
बादल से बरसते आँसुओं की
ये प्रेम कहानी अधूरी तो नहीं...
दिया और बाती पास होकर भी
नहीं कहते अपने दुख की बात,
चुप रहकर साथ में जल जाना
कहीं ये उनकी मंजूरी तो नहीं ।
~ अम्बुज गर्ग
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