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बस याद हैं वो चंद पल, जो हमने साथ गुजारे,
कब खत्म हुई अपनी बात, मुझ को खबर नहीं...
छान लिए शहर के सारे मोहल्ले और गलियारे,
कहाँ से निकली तेरी बारात, मुझ को खबर नहीं...
तुम इतने दूर हो गए, जितने चादँ-सितारे,
कैसे होगी फिर मुलाक़ात, मुझ को खबर नहीं...
मझधार में है मैरी नैया, नहीं लग रही किनारे,
कौन निभाएगा मेरा साथ, मुझ को खबर नहीं...
तुम्हारे बिना ब
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