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शमशान और कब्रिस्तान सब हैं भरे हुए,
अपनी इस दुनिया को यूँ ना बेजान कर....
प्रगति और विज्ञान सब हो गए बेकार,
हमारे दुखों का अब तू ही निदान कर....
रोक
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शमशान और कब्रिस्तान सब हैं भरे हुए,
अपनी इस दुनिया को यूँ ना बेजान कर....
प्रगति और विज्ञान सब हो गए बेकार,
हमारे दुखों का अब तू ही निदान कर....
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