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चिंगारी लगी थी ; तुझमें लगाई थोड़ी है ,
त'अल्लुक़ तोड़ी हो यादों की रिहाई थोड़ी है ,
जी नहीं भरता दीदार - ए - हुस्न से तेरे ,
इश्क़ है बेवफ़ाई थोड़ी है ।
तुझमें तेरी मुस्कुराहटों में इलाज़ ढूंढता रहा ,
बाज़ार में हर इल्लत की दवाई थोड़ी है ।
अश्कों के काफिले बहाने लगती हो ,
मुलाकात है जुदाई थोड़ी है ।
जह्मत ना उठाओ ;
बोलो यूं ही चले जाएंगे ज़िन्दगी से तेरी ,
मुसाफ़िर है घर जमाई थोड़ी है ।
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