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एक छोटा सा हादसा मुझसे,
करा गया मेरा सामना,
दिल में मेरे अब बाकी है बस,
सबके भले की कामना,
अब कहीं बाकी कोई द्वेष नहीं,
आपका जो भी हो मानना,
दूर रहें या पास मगर,
बस अच्छी ही यादों को थामना।
कवि-अंबर श्रीवास्तव।
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