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Romantic PoetryPoetry1 min read

आज में सिमटी हैं खुशियाँ।

Amber SrivastavaAmber Srivastava April 4, 2022
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यादों के जुगनूओं सा चमकता हुआ,

गुज़रा हुआ हर पल होगा,


आज में सिमटी हैं ख़ुशियाँ तमाम,

फिर मेरे बिना एक कल होगा,


अनबन कहिए या मन-मुटाव,

हर तनाव का एक दिन हल होगा,


आज में सिमटी हैं ख़ुशियाँ तमाम,

फिर मेरे बिना एक कल होगा,


कभी होंगे थोड़े से मतभेद यहां,

विचारों में भी कोलाहल होगा,


आज में सिमटी हैं ख़ुशियाँ तमाम,

फिर मेरे बिना एक कल होगा,


अभी होंगी शब्दों में तल्ख़ियाँ थोड़ी,

हर रिश्ता थोड़ा सा बोझल होगा,


आज में सिमटी हैं ख़ुशियाँ तमाम,

फिर मेरे बिना एक कल होगा,


रह जाएगा यादों का ख़ूबसूरत झरोखा,

कड़वी यादों का दौर फिर ओझल होगा,


आज में सिमटी हैं ख़ुशियाँ तमाम,

फिर मेरे बिना एक कल होगा।


कवि-अंबर श्रीवास्तव।

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