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✍️अमर त्रिपाठी
मोहब्बत से नफरत होने लगी है धीरे-धीरे,
कल तक जिनकी यादों में जिया करते थे हम,
आज वही पराए होने लगे हैं धीरे-धीरे।
यह दुनिया की रीत बड़ी ही है अनोखी,
जिसको मोहब्बत किया वह मिला नहीं जो मिला उसे मोहब्बत कभी हुआ नहीं ,
हम भी अश्क को छुपाए जिए जा रहे हैं धीरे-धीरे।
दुनिया को फर्क होगा रीति-रिवाजों का,
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