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मैं वफा की राह में

Aman SinhaAman Sinha May 31, 2022
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मैं वफा की चाह में, जिंदगी की राह में

बिन थके चलता रहा, सीपियाँ चुनता रहा 

कोरी थी वो कल्पना धानी सूत से बना 

जिससे मैं प्रेम के चित्र बस बुनता रहा 


मुट्ठी भर उठाई थी, लहरों से चुराई थी 

उँगलियों की छेद से रेत सब बहता रहा 

धूप की तलाश में अंधविश्वाश में 

व्यर्थ से मंत्रों का मैं जाप करता रहा 


सत्य जो समक्ष था मुझपर वो प्रत्यक्ष था 

मैं निगाहें फेर कर उससे हीं बचाता रहा 

अश्क जो बहे नहीं , शब्द जो कहे

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