
ना दूःख है ना सुख है ना है कोई कामना
जीवन का सत्य से आज हो रहा है सामना
ना है कोई शिकवा ना है कोई रंजिश
बस सुकूं ही सुकूं है ना है कोई बंदिश
सब ये सोचते है ये मुश्किल डगर है
पर मैं ये जानता हूँ ये अंतिम सफर है
जो पहूंचा है यहाँ तक कभी हारा नहीं है
वापसी का यहाँ से कोई चारा नहीं
बचपन को अपने देखा जो मूडकर
बिसरी सी यादों से देखा है जूड़ कर
मुझे बेचैन करती है वो बचपन यादें
ठंडी के वो दिन और गर्मी की रातें
है सब छोड़े जाना यही पर सभी को
नहीं संग है जाना किसी के किसी को
जो रोते है हमको अपना बता कर
नहा कर के लौटेंगे हमको जलाकर
है मरने का ग़म नहीं मुझको लेकिन
काटेगी कैसे वो ना उम्मीदी के दिन
बच्चो के खातिर है अब उसको जीना
चाहे ग़म से कितना भी फटता हो सीना
ना रोएगी वो भी मुझे ये यकीं है
अब उम्मीद सारी उसी पर टिकी है
वही मर्द घर की जनाना वही है
दुनिया के तानों का निशाना वही है
मुझे ग़म है उसको युं छोड़ने का
आधे सफर में युं मूंह मोड़ने का
मगर क्या करूँ मैं की मुमकिन नहीं है
कि साँसों को चलने की मोहलत नहीं है
रहूँगा नहीं मैं वो सब जानती है
सभी के नज़र को पहचानती है
बहाने बनाती है बच्चों के आगे
कैसे कहेगी वो सब है अभागे
सजना सवराना सब गुम हो गया है
चमकता सा चेहरा अब सुन्न हो गया है
होठों पे लाली ना माथे पर बिंदी
कोरी सी साड़ी में लगेगी वो गंदी
मुझे माफ करना जो तुमको रुलाया
कभी भूले से तेरा दिल जो दुखाया
कहना ये बच्चों से मैं मारता था उनपे
खुदसे भी ज्यादा प्यार करता था उनसे
अब चलने का मेरे समय आ गया है
लेने मुझको देखो वो दूत आ गया है
है उसको भी मेरी जरा सी जरूरत
नए साँचे मे ढलनी है मेरी भी सूरत
ना रोना कभी तुम ना उन्हे रोने देना
पलकों से आँसू टपकने ना देना
हंसी मुझको आएगी तेरी उस हंसी से
विदा जब करोगे तुम मुझ्को खुशी से
मैं लौटूँगा एक दिन सब ये जान लेना
मुझे देख कर तुम बस पहचान लेना
रहूँगा मैं भी कैसे तुमसे बिछड़ कर
तुम्ही से मिलुंगा मैं फिर से जनम कर
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