कैंसर's image
Share0 Bookmarks 31 Reads1 Likes

क्या?

क्या कहा तुमने ?

अब और जी ना पाओगे

चल पड़े हो लम्बे सफर पर

अब कभी लौट के ना आओगे


मैंने देखा है तुम्हे

रात को छुप के तन्हाई में रोते हुए

दर्द को सहते और खून थूकते हुए

अब तुम हर रोज़थोड़ा थोड़ा मरते जा रहे हो

साँसे कम हो रही तुम्हारी

जान हमारी निकाले जा रहे हो


कई बार टोका

कई बार मना किया मैंने तुम्हे

हाथ भी जोड़े और

बच्चो से इशारा भी करवाए

पर तुम लत में अपनी

हमारा सारा जहां लुटा बैठे

रुपये गहने कपडे तो क्या

अपना गुलशन भी तुम गवा बैठे


क्या हक़ था तुम्हे

अपनी उम्र यु गवाने का

अपने साथ साथ हमारी भी

खुशियां साथ ले जाने का

मैंने कहा था तुम्हे

छोड़ दो ये नशा करना

बेवजह खुदको खुद ही सजा देना


क्या ग़म था तुम्हे

हम से जो ना बाँट सके

किसी को बोल न पाए

किसी को समझा न सके

काश के तुमने

कभी बात मेरी मानी होती

ना तो ऐसे हाल होते

न तुहारी ऐसी हालत होती


सो जाओगे तुम

पर नींद हमारी ले जाओगे

जब कभी देर रात तलक

तुम याद हमे आओगे

कोई हक़ न था

तुम्हे मेरे बच्चों को उसके

बाप से जुदा करने का

मांग मेरी धोकर

बेवा मुझे करने का

कल रोएंगे बच्चे

तुम्हारे चले जाने के बाद

बड़ी भूल भी जाए

छोटा चिखता रह जएगा 

तुम्हारे लाश को जलाने के बाद

 









No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts