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हज़ारों यहाँ इश्क़ में बीमार बैठे है
जीस गली में देखो दो चार बैठे है
किसी काम में अब जी नहीं लगता इनका
लोग कहते है की ये सब बेकार बैठे है
उंगलिया हटती नहीं कभी इनकी चैटिंग से
वक्त मिलता नही इनको कभी भी डेटिंग से
हर दिन बदलते है ये प्रोफाइल कपड़ो की तरह
फर्क पड़ता है इन्हे बस टिंडर की सेटिंग से
साथ इनके है अभी कल कोई नया आएगा
भूल जाएगा ये भी वो भी इन्हें भूल जाएगा
दिल का टूटना तो बस एक छलावा है
ये किसी और का वो किसी और का हो जाएगा
वादे जितने थे किये सब एक दिखावा था
साथ वो जब भी दिखे वक्त का बुलावा था
हो जाए इश्क़ कभी ऐसी तो सूरत ही न थी
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