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चिड़यों के चहक में आज कोलाहल था शोर था
उत्तर के पुरे आसमान में काले बादल का ज़ोर था
पेड़ अभी तक शांत खड़े थे धूल की ना कोई रैली थी
सूरज अब तक ढला नहीं था ना तो अंधियारी फैली थी
हवा थमी फिर सूरज चमका गर्मी थोड़ी और बढ़ी
काले बादलों की एक टोली आसमान में और चढ़ी
एक तरफ थे काले बादल एक तरफ उजियरा था
तभी कहीं पर चमकी बिजली बारिश का इशारा था
बच्चे छत पर खड़े हुए थे बारिश की अभिलाषा में
बादल भी कुछ बता रहे थे टेढ़ी मेढ़ी भाषा में
तभी हवाएं तेज़ हो गयी धूल को अपने साथ लिए
बच्चे छत से दौरे घर तक कपडे सारे साथ लिए
बस कुछ क्षण के लिए यहां पर मौसम बड़ा सुहाना था
किसे पता था अभी यहां पर चक्रवात को आना था
काले-काले बादल ने फिर आसमान को घेर लिया
धूल भरी हवाओं ने कुछ बिन कहे जंग सा छेड़ दिया
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