कुछ बातों का क्या ही कहा जाए
उदास होकर भी कैसे खुश रहा जाए..
थे जिस बात से बेखबर हम
उन सभी बातों में छिपे हुए हम..
कभी कभी दर्द का दर्द से रिश्ता टूट जाता है
है ख्वाइश जुड़ने का, फिर भी सबकुछ छूट जाता है
तनख्वाह से घर जरूरी नहीं की चल जाए
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