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ये तेज़ तेज़ हृदय गति
कण कण में है उसके प्यार रति
ठहर जाए बस नज़रें मिलने भर से
जज़्बातों में हो जाए "प्रगति"
वो शाहजहां की मुमताज़ नहीं
खुली खुली उम्मीदें है,
कोई राज़ नहीं
हमें बातों से अकसर
उसने है छुआ
हमारा इश्क़ चरम पर है,
कोई आगाज़ नहीं..
ये भवानाओं की आशिकी है
हमारा मिलना तौफिकी है
अंजाम शून्य है इसका
फिर भी ये तो सिर्फ झांकी है।।
~अमन
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