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तुम ख़िलाफ़ नहीं होते

Alok RanjanAlok Ranjan January 20, 2022
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तुम ख़िलाफ़ नहीं होते


सब चुपचाप है बस्ती में लेकिन मैं नहीं,

मैं तो अब भी बोलूंगा सारें राज खोलूंगा।


सब के सब बिक चुके हैं अपने रियासत में।

लग चुके हैं दाग धब्बें सबके ही विरासत में।


ये जो क्या कहते हैं,जो अपने को नेक बनते हैं

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