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दाल ही काला है
सच सच सच उगल रही है आज तो तुझे क्यों मलाल है,
बस तुम देख तमाशा अब मेरी दोनों आंख लाल लाल हैं।
तुम जनता को तल रहा जिन्दा जलती हुई एक ताव पर,
तेरी नियमों से ही चलना अब क्या खड़ी है एक पांव पर।
सोच समझकर गांव गलियों से तुम अब नए मुद्दा बनाते हो,
भौंक रहे पीछे पीछे लोग अब अपडेट करके ग
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