
हाँ हमे याद है
डाकिया का चिट्ठी, खेतो की मिट्टी।
मौत का कुआँ, चूल्हे का धुआँ ।
घर के पीछे वाला बाड़ी, लकड़ी की गाड़ी।
हाँ हमें याद है।।
ईद की सेवईया, दिवाली की मिठाइया।
दुर्गा पूजा का मेला, झालमुड़ी का ठेला।
साइकील का खेल, बच्चों का रेल।
हाँ हमें याद है।।
नदियों का स्वच्छ पानी, नाना नानी की कहानी।
साधू बाबा का सारंगी, चाचा का लाया नारंगी ।
दादा जी का पान, बच्चों के खिलौने वाली दुकान ।
हाँ हमें याद है।।
धान की कटनी, कच्ची आम की चटनी ।
ठंडे का अलवा, उसमें पके आलू का जलवा ।
होली में बने पकवान,और अपने पुराने मिट्टी का मकान ।
हाँ हमें याद है।।
बंदर भालू का नाच, माँ के आंचल की गाँठ ।
माँ की बेलन का मार, और दादी का प्यार ।
भेंस के पीठ की सवारी, तीन चक्के वाली गाड़ी ।
हाँ हमें याद है।।
होली का रंग, गाँव वालो का संग ।
फगुआ का गान, बड़ों-बूढ़ों का सम्मान।
पीपल के छाँव, वो अपने वाला गाँव ।
हाँ हमें याद है।।
'आलोक अनन्त'
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments