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वो इक शख्स क्या गया मेरी गली से
वीरान सा हाे गया सारा शहर मेरे लिए।
जब से बिछड़ा वो बीच राह मुझसे अचानक
चल रहे हैं पांव, पर खत्म सा हो गया सफर मेरे लिए।
दिल के घर के कोने कोने में बसी हैं उसकी यादें
पर वीरान सा हो गया है जैसे अब ये घर मेरे लिए।
दुनिया की निगाह है अब भी उनकी हर एक बात पे
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